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28 May 2018 · 1 min read

सुबह की चाहत

सुबह की मंद मंद ठंडक जब मुझको छूती है,,
अलसाई सी मेरी आँखें बस तुमको ही खोजा करती है,,
मिश्री सी मीठी बोली कानों में घुल जाती है,,
तुमको देख मेरे चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है,,
तुमको बस तुमको ही सुनना अच्छा लगता है,,
जी चाहता है बस तुमको ही सुनती जाऊँ,,
हो कुछ बात न इन लवों से
फिर भी गुफ्तगू होती जाएं
तेरे दिल की बातें मेरे दिल तक पहुँचती जाएं,,
ये दूरी तो बस मीलों की दूरी है
कोई दूरी नहीं हमारे दिलों के दरमियान,,
तेरी एक झलक से जी नहीं भरता,,
बस तुमको ही देखती जाऊँ,
चोरी चुपके से तुमको निहारना अच्छा लगता है,,
हर पल हर लम्हा तेरा जिक्र करना अच्छा लगता है,,
बाकी दुनिया झूठी लगती है
तेरा होना ही बस सच्चा लगता है ।।।®

#दिVयाअम्बेDकर

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