Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 May 2018 · 1 min read

दर्द के छाले

मेरी खुबसूरत हँसी के पीछे छिपे,
दर्द को तू समझ ना पायेगा।
दिल को मेरे आ जाय सुकुँन ऐसी कोई,
दवा तू मुझको कभी दे ना पायेगा।
लाज़मी तो नही हर तकलीफ बाँटी जाय,
आँसू के एक-एक कतरे का हिसाब रखा जाय।
क्या हुआ जो मेरी नजर,हर नज़ारे में उसको ढुढ़ँती है,
मेरी साँस उसको अपनी साँसों में महसूस करती है।
सीने में उठे तूफानों को कैसे समझाऊँ “सरिता”मैं,
छाले जो पड़ गये मन की हथेली पर,उसे कैसे दिखाऊँ मैं।
#सरितासृृजना

Loading...