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19 May 2018 · 1 min read

काश ,हम छोटे हो जाते.....

काश ,हम फिर छोटे हो जाते ,
गोद में माँ की फिर सो पाते।
माँ की ममता का आँचल,
अब याद बहुत आता हैं।
कभी छोटे थे अब बड़े हो गए,
यूं ही वक़्त चला जाता हैं……
न चिंता थी न द्वेष था,
आनंदित वो परिवेश था।
अब तो सोच समझने में ही,
दिन यूं ही कट जाता हैं।
माँ का प्यार से सुबह उठाना,
फिर माँ को कुछ देर सताना।
स्कूल की अपनी वो बाते,
बचपन के खेल की वो यादें।
सब बीत यूं ही जाता हैं…….
कितना था दिल में अल्हड़पन,
कितना प्यारा था बचपन।
सदा भाई-बहन का साथ था,
माँ का सिर पर हाथ था।
सब छूट यूं ही जाता हैं…..
काश हम फिर छोटे हो जाते
गोद में माँ की फिर सो पाते।

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