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3 May 2018 · 1 min read

अमलतास

अमलतास

वो देखो बंजर जमीन पर भी
कैसी शान से खड़ा है
ओढ़े पीले रंग की चादर
फूलों की लडियो से ढका है

भीषण तपती गरमी में भी
अपनी आभा नही खोई है
काश ! हम भी अमलतास बन पाते
फीकी पडी जिंदगी में
कुछ रंग प्यार के भर पाते

डाॅ0 ममता सिंह

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