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2 May 2018 · 1 min read

दीपांजलि

दीप जले प्रसन्नता के मन में,
दीपों से होवे उल्लास।
दीपों से बनते ये सारे,
तुलसी कबीर और वेदव्यास।।1।।

एक दीपक जो दे उजियारा,
एक दीपक तम दूर करे।
एक दीपक दे मन को आनंद
प्रसन्नता भरपूर करे ।।2।।

एक दीपक जग को चमकाए,
एक दीपक शीतलता दे।
उज्ज्वल हो मन हम सबका,
ऐसी उसमें कोमलता दे।।3।।

एक दीपक जो तेज दिखाए,
एक दीपक नित प्रीति दे।
अनुशासन का पाठ पढ़ाये,
सत्य कर्म की नीति दे।।4।।

स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार

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