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27 Apr 2018 · 1 min read

मुक्तक

तुम मेरी जिन्दगी का ऐतबार बन गयी हो!
तुम मेरी मंजिलों का इंतजार बन गयी हो!
शामों-सहर नज़र आता है रंग यादों का,
तुम मेरी तमन्नाओं का संसार बन गयी हो!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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