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13 Apr 2018 · 9 min read

एक अनुभव : टाइप-२ डायबिटीज पर विजय

डायबिटीज का एक मंत्र है ……….

‘ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् | उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||’ अर्थात : हे गज के सिर वाले, सभी गणों द्वारा पूजित कैथ और जामुन खाने वाले, शोक का विनाश करने वाले पार्वती पुत्र विघ्नेश्वर गणपति मैं आपके चरण कमलों में नमन करता हूँ । अब चूँकि प्रथम पूज्य गणेशजी को इस संसार में सर्वाधिक मीठे लड्डू खिलाये जाते हैं अतः उन्हें मधुमेह की आशंका तो रहती ही होगी अतएव वे उससे बचाव के लिए कैथा व जामुन का भरपूर प्रयोग करते हैं !

साथियों! इस वर्ष मुझे दो गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ा उनमें से एक थी मधुमेह या टाइप-२ डायबिटीज व दूसरी थी अंडकोष में छः गुने से अधिक वृद्धि| हमारे एलोपैथिक चिकित्सकों के अनुसार वैसे तो इन दोनों बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति पाना असंभव ही है तथापि भगवान् भोलेनाथ शिवजी की कृपा से अब मैं दोनों से ही पूर्णतः मुक्त होकर स्वस्थ अनुभव कर रहा हूँ!

इसी वर्ष ७ फरवरी २०१७ को अचानक मैंने अनुभव किया कि मेरा वजन गिरना प्रारम्भ हो गया है, मुझे बार-बार अत्यधिक प्यास लगती थी व बीसों बार बाथरूम जाना पड़ता था, तब मैंने रात्रि में अपने एक फार्मासिस्ट मित्र डॉ० मनोज दीक्षित जो कि एक उत्कृष्ट कवि भी हैं, को फोन किया और कहा कि कृपया चेक करें कि मुझे कहीं शुगर आदि तो नहीं हो गयी है इतना सुनते ही उन्होंने तत्काल ही अपने ग्लूकोमीटर की स्ट्रिप्स खरीदीं व अविलम्ब ही मेरे घर आ गये| शुगर चेक करते ही उन्होंने मुझे तेजी से घूरा और बोले “भैया का करैया हौ ?” मैंने उनसे पूछा कितनी शुगर है भाई? वे बोले खुद ही देख लो! ग्लूकोमीटर की रीडिंग देखकर मैं समझा कि उसकी रीडिंग गलत है किन्तु उसी समय जब मेरी पत्नी की शुगर १२५ निकली तो मैं सन्न सह गया वास्तव में मुझे ४५४ एमजी०/डीएल० शुगर थी| प्रातःकाल जब लैब में टेस्ट कराने पर फास्टिंग शुगर २८५ व पी० पी० ४३४ निकली तब मैंने अपने दूसरे चिकित्सक मित्र डॉ० मनोज श्रीवास्तव को फोन किया, उन्होंने मुझसे एचबीएवनसी, एल० ऍफ़० टी०, आर० ऍफ़० टी०, व रूटीन यूरीन आदि टेस्ट कराने को कहा, मैंने अपने एक पैथालोजिस्ट मित्र डॉ अंशुमान मिश्रा से अपना परीक्षण कराया तो पाया कि मेरा एचबीएवनसी ११.२ अर्थात अत्यधिक था व यूरीन से भी काफी शुगर आ रही थी ! गनीमत यह थी कि बस लीवर व किडनी ठीक-ठाक अर्थात बचा हुआ था, तब डॉ० मिश्रा ने कहा कि आप पूरा परहेज करें व दूध की चाय छोड़ दें व बिना चीनी की नीबू की चाय पियें क्योंकि दूध-चाय आपस में मिलकर अत्यंत धीमा जहर बन जाते हैं. जब डॉ० मनोज श्रीवास्तव को फोन पर मैंने स्थिति से अवगत कराया तो वे बोले आपको निश्चित ही आपको वास्तव में काफी समय पूर्व से ही शुगर है वैसे तो आपकी यह अवस्था इन्सुलिन के लायक है तथापि मैं आपको फिलहाल ओरल मेडिसिन ग्लूकोनार्म जी वन फोर्ट दे रहा हूँ ! ईश्वर चाहेगें तो आपको आराम मिल जाएगा अब आपको चावल चीनी व आलू आदि से पूर्णतः परहेज रखना होगा !

उसके बाद मेरे अनुरोध पर मेरे एक रिश्तेदार डॉ० मुकेश श्रीवास्तव ने मुझे बताया कि आपका डाईट चार्ट इस प्रकार रहेगा, प्रातःकाल उठकर थोड़ी पिसी हुई हरी धनिया एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर उसमें एक नीबू निचोड़कर पी लें इससे आपकी आखें सही रहेगीं फिर जाकर तेज गति से लगभग दो से तीन किलोमीटर टहलें फिर लौट कर नीम की कोपल चबाएं या नीम की कोमल पत्तियों का रस पियें तद्पश्चात आप भरपूर व्यायाम व कपाल-भाती, अनुलोम विलोम, मंडूक आसन व भ्रामरी इत्यादि योग करें व उसके बाद आप प्रातः आठ बजे तक चने, मूंग, मेथी, मोठ व सोयाबीन इत्यादि को अंकुरित रूप में सेंधा नमक व नीबू मिर्च आदि मिलाकर ले लें, फिर लगभग १० बजे एक सेब या एक अमरुद या एक फांक पपीता ले सकते हैं वह भी अभी नहीं तब जब शुगर २०० से नीचे आ जाय तभी ये फल लेना है| दोपहर १२ बजे के भोजन में आपको पांच भाग जौ, तीन भाग चना, व एक एक भाग मूंग, राजमा, अलसी, लोबिया, कुल्थी, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन दाना आदि के मिश्रित आटे की दो रोटियाँ, एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी व एक कटोरी रायता व सलाद लेना है, शाम चार बजे आप पुनः अंकुरित अनाज लेगें व रात्रि आठ बजे आपको पुनः दोपहर की भांति ही भोजन लेना है साथ-साथ आप एक कौर को कम से कम बत्तीस बार चबा कर ही खायेगें! उनके परामर्श के अनुसार मैंने वह सब प्रारंभ कर दिया किन्तु अपने एक अन्य मित्र होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ० विश्वनाथ मिश्र जो कि अब हमारे मध्य नहीं हैं, के परामर्श के अनुसार साथ-साथ कुछ होमियोपैथिक दवाएं व बायोकेमिक सेवेन नंबर दवा का प्रयोग करना भी जारी रखा ! हमारे एक अन्य मित्र पंकज श्रीवास्तव ने मुझे बीजीआर ३४ नामक आयुर्वेदिक दवा भी दी जिसका भी अन्य सभी दवाओं के समान्तर प्रयोग जारी रहा| इस सबका परिणाम चमत्कारिक था, एक सप्ताह में मेरी शुगर घटकर, ११२/११८ व उन्नीस दिन में ९२/९८ रह गयी थी | एलोपैथिक दवा के प्रयोग करते ही मेरी दूर दृष्टि कमजोर होनी प्रारंभ हो गयी थी जो कि हरी धनिया वाले नीबू-पानी के प्रयोग से पुनः सही हो गयी |

मैंने उन सभी दवाओं को लेना जारी रखा इसी बीच में मेरी सलहज साहिबा कविता रानी श्रीवास्तव जी लक्ष्मी नारायण पंसारी के यहाँ से मेरे लिए एक डायबिटीज नियंत्रक चूर्ण ले आयीं जिसका प्रयोग तो मैंने किया परन्तु उसकी गुणवत्ता पर पूरी तरह से मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था अतः मेरे मन में विचार आया कि ऐसा ही चूर्ण मैं स्वयं क्यों न बनाऊं बस समस्या थी उसके सटीक फार्मूले की सो मैंने नेट पर इससे सम्बंधित छानबीन प्रारंभ कर दी मुझे एक फार्मूला प्राप्त तो हुआ परन्तु मैं उससे संतुष्ट नहीं था अतः अपने दो अन्य आयुर्वेदिक चिकित्सक मित्रों डॉ० रमेश मंगल वाजपेयी व डॉ संजीव सिंह के परामर्श से एक फार्मूला बनाकर छप्पन जड़ी-बूटियों का प्रयोग करके पाउडर फ़ार्म में एक दवा तैयार की जो कि अत्यंत कड़वी थी, बस एकमात्र समस्या यही थी उसमें शिलाजीत कैसे मिलाया जाए? खैर ! उस समस्या का भी निदान हो गया. उस दवा के सुबह-शाम सेवन से मुझें और भी लाभ मिलने लगा, वह दवा वास्तव में चमत्कारिक ही थी क्योंकि उसका काढ़ा बनाकर जब मैंने डॉ संजीव सिंह को लगभग एक घंटे के अंतराल पर दो बार पिलाया तो उनकी शुगर मात्र डेढ़ घंटे में ४१५ से १२० घटकर १९५ आ गयी जबकि वही काढ़ा उनके साथ मैंने भी उतनी ही मात्रा में पिया था और मेरी शुगर १०० से ९५ हुई थी अर्थात मात्र ०५ का ही अंतर था ऐसा अनुभव हो रहा था कि वह दवा उसी स्थिति में शुगर लेविल कम करती है जब शुगर हाई होती है सामान्य शुगर लेविल वाले व्यक्ति पर उसका न के बराबर प्रभाव पड़ता है | उस काढ़े के प्रयोग से हाई शुगर वाले ओमप्रकाश वैश्य जी व राजीव रंजन मिश्र के साथ भी कुछ ऐसा ही परिणाम आया, काढ़े के प्रयोग के बाद उनकी शुगर के लेवल में १२० से १५० का फर्क आ जाता था| एलोपैथिक दवा के साथ उस दवा के प्रयोग से अब मेरी शुगर काफी नीचे गिर रही थी जब शुगर ७०/९० रह गयी तो हमारे एक रिश्तेदार डॉ० मुकेश श्रीवास्तव ने एलोपैथिक दवा की डोज आधी करने की सलाह दी, कुछ दिन बाद उन्होंने आधी टेबलेट केवल शाम को लेने को कहा फिर शुगर लेविल जब ६५/८० आ गया तब उन्होंने एलोपैथिक दवा बंद करवा दी इस प्रकार मैंने लगभग तीस दिनों तक ही एलोपैथिक दवा का सेवन किया था| इसके एवज में मैं बाबा रामदेव की दिव्य मधुनाशिनी वटी की २-२ टेबलेट सुबह शाम लेता था व अक्सर कच्ची हल्दी (अधिकतम २५० मिलीग्राम), अदरक, मूली, हरे पान का पत्ता, करीपत्ता और जामुन की कोपल आदि चबाता रहता था व हरी मेथी/ दूर्वा/ तिपतिया या खट्मिठ्ठी इत्यादि का रस आदि पीता रहता था !

यद्यपि अत्यधिक व्यायाम व योग करके मैंने अपना वजन ९३.५ कि०ग्रा० से ७६ कि०ग्रा० तक कर लिया था तथापि अनजाने में बिना लंगोट या सपोर्टर के व्यायाम करने से मेरा बायाँ अंडकोष अकस्मात् ही लगभग छः गुने से अधिक बढ़ गया था | तब मैंने पुनः डॉ० मनोज श्रीवास्तव को फ़ोन किया उन्होंने कहा, अम्बरीष जी आप शुगर से तो बच गए किन्तु इसके लिए तो आपको सर्जन के पास जाना ही होगा | तब मैंने नेट पर इससे सम्बंधित दवाएं खोजी. बड़ी मुश्किल से मुझे छोटी कटेरी की जड़ मिली जिसे पीसकर व काली मिर्च मिलाकर मैंने उसे सुबह शाम खाया व साथ-साथ कभी जीरा व काली मिर्च तो कभी माजूफल व फिटकरी मिलाकर उन्हें अंडकोष पर बाँधा, साथ साथ हमारे परम मित्र डॉ० मनोज दीक्षित ने हमें कुछ और एलोपैथिक दवाएं जैसे बेनोसाइड फोर्ट, मेट्रोजिल, जेनटेक व अन्य एंटीबायोटिक दवाएं भी इक्कीस दिन तक दीं | इसके साथ में मैंने केल्केरिया कार्ब २०० , साइलीसिया ३०, फास्फोरस ३० व स्पन्जिया २०० आदि दवाएं भी लीं जिनका परिणाम चमत्कारिक रहा | अब मेरे दोनों अंडकोष ‘बेटर दैन ओरिजिनल’ हैं!

२१ अप्रैल २०१७ के दिन मैंने अपना फास्टिंग टेस्ट किया जो कि ८५ था फिर खाने के साथ अत्यंत दुस्साहस करके १०० ग्राम जलेबी खाई व दो घंटे बाद पीपी० टेस्ट किया जो कि मात्र ८९ निकला इसे देखकर सभी मित्र अत्यंत आश्चर्यचकित हुए! उसके बाद मैंने अनेक बार भरपेट मिठाई खाकर शुगर चेक कराई जो कि एकदम नार्मल निकली ! आज बिना एलोपैथिक दवा के मेरा एचबीएवनसी ५.१ है जो नान डायबिटिक रेंज में आता है | यद्यपि परीक्षण के तौर पर मैं अब भरपूर मिठाई खा लेता हूँ व मस्त रहता हूँ तथापि भविष्य में ऐसे लगातार परीक्षणों का मेरा कोई इरादा नहीं है | बस अब मेरा परहेज मात्र यह है कि मैं चाय बिना दूध व बिना चीनी की लेता हूँ व कोल्ड-ड्रिंक आदि कदापि नहीं पीता और तो और अब मैंने एल० डी० एल० कोलेस्ट्राल युक्त तेल जैसे रिफाइंड आयल आदि का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया है बस केवल सामने निकाला हुआ एच० डी० एल० कोलेस्ट्राल युक्त सरसों व मूंगफली का तेल ही प्रयोग करता हूँ |

कुछ दिनों पूर्व एक दिन मेरे एक चिकित्सक मित्र डॉ० प्रवीण कुमार श्रीवास्तव जो कि एक साहित्यकार भी हैं ने मेरा परीक्षण किया तो पाया कि मेरा ब्लड प्रेशर १००/१८० है जो कि खतरे की घंटी है उन्होंने पुनः मेरे सभी परीक्षण कराये व मुझे बी० पी० व हाइपरटेंशन की दवाएं दी| साथ में मैंने बाबा रामदेव की दिव्य मुक्ता वटी व होमियोपैथिक दवा राउल्फिया का प्रयोग किया है परिणामतः मेरा बी० पी० अब ७८-११५ के आस पास रहता है ! बिना चिकित्सक की सलाह के मैंने कभी कोई दवा नहीं ली है | आशा है मेरे इस अनुभव से मेरे अन्य मित्र भी लाभ उठायेगें !
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मेरे द्वारा बनायी गयी उपरोक्त दवा का फार्मूला निम्नलिखित है :
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१ तुलसी पत्ती -१०० ग्राम
२ आंवला बिना गुठली -३००ग्राम
३ छोटी हर्र -१०० ग्राम
४ बहेड़ा बिना गुठली -२०० ग्राम
५ मेथी का दाना – १०० ग्राम
६ तेज पत्ता – १०० ग्राम
७ जामुन की गुठली -१५० ग्राम
८ बेलपत्र के पत्ते – २५० ग्राम
९ आम के पत्ते-१०० ग्राम
१० जामुन पत्ते-१०० ग्राम
११ जामुन गूदी-१०० ग्राम
१२ करेला बीज-१०० ग्राम
१३ मूली बीज-१०० ग्राम
१४ गुड़हल पत्ती-२००ग्राम
१५ गुडमार पत्ती-२०० ग्राम
१६ गुड़हल फूल पाउडर -१०० ग्राम
१७ पुनर्नवा पत्ती-२०० ग्राम
१८ नीम पत्ती-२०० ग्राम
१९ विजयसार छाल-१०० ग्राम
२० मीठी बच-१०० ग्राम
२१ शतावर -१०० ग्राम
२२ गोरखमुन्डी-१०० ग्राम
२३ ब्राह्मी पाउडर -१०० ग्राम
२४ पुनर्नवा-१०० ग्राम
२५ त्रिवंग भस्म-१० ग्राम
२६ छोटी इलायची -२० ग्राम
२७ लौंग -२० ग्राम
२८ काली मिर्च -१०० ग्राम
२९ पान पत्ता-२०० ग्राम
३० भूमि आंवला-२०० ग्राम
३१ शुद्ध सूर्यतापी शिलाजीत-५०० ग्राम
३२ करी पत्ता-१०० ग्राम
३३ शंखपुष्पी पाउडर-१०० ग्राम
३४ जायफल-२ नग
३५ जावित्री-५ ग्राम
३६ शरीफा पत्ती-२५० ग्राम
३७ शहतूत पत्ती-२५० ग्राम
३८ नागकेशर -१०० ग्राम
३९ गिलोय पाउडर-१०० ग्राम
४० वासा पत्ती-२५० ग्राम
४१ सफ़ेद मुसली-१०० ग्राम
४२ क्रौच बीज -२०० ग्राम
४३ इमली बीज-१०० ग्राम
४४ पोस्ता दाना-१० ग्राम
४५ ईसबगोल -१०० ग्राम
४६ बबूल फली -१०० ग्राम
४७ बबूल पत्ती- १०० राम
४८ बबूल गोंद -१०० ग्राम
४९ अर्जुन छाल-२०० ग्राम
५० पीपल पत्ता-१०० ग्राम
५१ बरगद पत्ता -१०० ग्राम
५२ कैथा पत्ती -२०० ग्राम
५३ कैथा गूदी-२०० ग्राम
५४ कैथा छाल-१०० ग्राम
५५ आम गुठली गिरी-५० ग्राम
५६ छोटी कटेरी की जड़-१०० ग्राम
५७ वासा जड़ -१०० ग्राम
५८ सोंठ -१०० ग्राम
५९ हल्दी -१०० ग्राम
६० आम्बा हल्दी -५० ग्राम
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–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

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