Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Apr 2018 · 2 min read

याद बहुत आते है गुल्ली-डण्डों वाले दिन....

कवि प्रमोद तिवारी व कवि के० डी० शर्मा
‘हाहाकारी’ की पावन स्मृति में …..
____________________________________
याद बहुत आते है गुल्ली-डण्डों वाले दिन.
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन….

एक टांड़ में आसमान को गुल्ली चूमे जिसकी,
उसके आते पस्त सभी थे ढीली नेकर खिसकी,
गेंदतड़ी औ धनुष-तीर सरकंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(१)

दिन भर खेलें चौका मारें मजेदार यह फंडा,
पीछे आकर पापा धर दें बड़े जोर का डंडा,
कसरत-वर्जिश याद सभी मुस्टंडों वाले दिन
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(२)

रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे भीगें बारी-बारी,
तैर रहीं कागज़ की नावें चींटा करे सवारी,
खोल तोड़कर निकले चूजे अण्डों वाले दिन
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(३)

कच्ची अमिया, जामुन के चक्कर में हम दीवाने,
लिये गुलेलें फिरते रहते बागों में मस्ताने,
रखवालों से बचने के हथकंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(४)

गुड़िया, रानी, सीमा, के संग खेलें आइस-पाइस,
दिल की चाहत प्यारी-प्यारी मिलती अपनी च्वाइस,
घाट-घाट का पानी पीते पंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(५)

मजमा लगा कचेहरी जादू भीड़ देखती सारी,
आरी से काटे इक लड़की हँसता हुआ मदारी,
देख कलेजा दहल रहा दो खण्डों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(६)

चार आने में दो सुहाल थे चार आने की टिक्की,
दस पैसे में मिले पकौड़ी आठ आने में चिक्की,
चाट चाटते आलू घुइयाँ-बंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(७)

रामसनेही की नौटंकी नाटक मेले वाले,
मस्त छमाछम छमिया नाचे झूम रहे दिलवाले,
नानी-दादी के अनेक पाखंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(८)

हिप्पी जैसी जुल्फें चाहें बेलबाटम था प्यारा
आवारा-नालायक घर में खुद को कहाँ सुधारा
नहीं भूलते ‘अम्बर’ शान-घमंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(९)

के० डी० शर्मा हाहाकारी और प्रमोद तिवारी,
कछुआ मछली मारें छक्का जब भी आती बारी,
बाटी-चोखा की चाहत में कंडों वाले दिन,
चुपड़ी रोटी, खो-खो, शाखा, झण्डों वाले दिन…..(१०)
याद बहुत आते है गुल्ली-डण्डों वाले दिन……….
_____________________________________
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
_____________________________________

Loading...