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15 Mar 2018 · 1 min read

लुटी हुई तिजोरी पे ताला नहीं लगाते

इस दिल की सुखन अब सुनायेगा कोई,
नीड़ से पंक्षियों को अब उड़ायेगा कोई।

जान जाये न मेरी अहमियत ये दुनिया,
अपनी शुर्खियों को अब छुपायेगा कोई॥

देखकर कोई कर न दें घर पे शिकायत
छुपकर साथ अपना अब निभायेगा कोई॥

लुटी हुई तिजोरी पे ताला नहीं लगाते,
बचा ही क्या है जो अब चुरायेगा कोई॥

संदीप “सत्यार्थी”

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