Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Dec 2017 · 1 min read

सिर्फ कैलेंडर बदले

ना हम बदले ना तुम बदले,
तारीखों के साथ केलेंडर बदले।
ना सोच बदली ना बातें बदली,
ना बातों के बबंडर बदले।
ना जीत बदली ना शिकस्त बदली,
ना शिकस्त देने वाले शिकन्दर बदले।
बदल गए पैगाम सभी,
धर्मों के तथाकथित पैगम्बर बदले।
ना साधू सन्यासियों के मुखोटे बदले,
ना मुखोटों की आड़ के आडंबर बदले।
70 साल से उम्मीद मे है मेरा मुल्क,
मगर ना आज तक हमारे मुक्कदर बदले।
बदल गये दिल्ली की सिंघाशन के रंग,
कुछ टोपी बदली कुछ गमछे बदले।
सूखने लगी मीठे पानी की नदियां,
जरा भी ना खारे पानी के समंदर बदले।
किस बात की बधाई दु कुछ नही बदला,
सिर्फ येहा साल दर साल कैलेंडर बदले।
रचनाकार: जितेंन्द्र दीक्षित,
पड़ाव मंदिर साईंखेड़ा ।

Loading...