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28 Dec 2017 · 1 min read

“गज़ल”

“गज़ल”

आइए जी आज से हम दिल लगाना सीख लें
जाइए मत छोड़कर हँस मुस्कुराना सीख लें
खो गए वो पल पुराने जो हमारे पास थे
पेड़ पीपल और बरगद तर छहाना सीख लें ॥

हर गली कब छाँव जाती धूप कितने पल रहा
रात कैसी भी कटी हो दिन बिताना सीख लें ॥

खो गया क्या आप का कोई खजाना कीमती
बैठिए जी साथ में फिर से कमाना सीख लें॥

छोड़िए उस नूर को जो जा गिरा बेनूर हो
बेअदब बे आबरू को अब भुलाना सीख लें॥

रोक भी अब लीजिये अपनी सवारी छाँव में
उड़ रही इस जुल्फ पर आँचल सजाना सीख लें॥

साथ “गौतम” के रहेंगे इस उफनती धूप में
हर हवा को मोड़ कर अब घर बसाना सीख लें॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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