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27 Dec 2017 · 1 min read

शूल/काँटा

बने तुम भी पहचान चमन की
चुभन नहीं शान हो गुलशन की ।

कोमल कितना साथ तुम्हारा
तुम बिन अधूरी महक सुमन की ।

तुम तपस्वी बड़े ही अडिग हो
तुमको बहुत है सहन तपन की ।

दृढ़ संकल्पी और जटिल हो
नज़रें तुम पर सभी कलियन की ।

फूल शूल का है साथ अनुपम
सँग होकर भी न आस मिलन की ।

डॉ रीता

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