?क्या खूब नजराना है?
क्या खूब नजराना है
■ क्या खूब नजराना है,
वादियों और पहाड़ो का,,
जायका लेने निकला है कोई,,,
ज़मी की हरी चादर का।।
■■ बड़ा मुश्किल सफ़र है,
घिरी पत्थरीली राह का,,
मन का हौसला बढ़ा है,
आज और चलने का।
हवाएं संदेश दे रही,,
गुलशन और फिजाओ का,,
महकना ही है मकसत,,
फूलों और कलियों का।
■■ इंशा ने भी देख लीया
बदलना मौसम का,,
पल पल बदलना काम,,
अब तो रह गया हर इंशा का।
■■ कौन किसका है यहाँ,,
किसको परवाह है यहाँ,,
सब अपने मे ही रह जातेहै,
गैरो से न कोई नाता इनका
गायत्री सोनू जैन मन्दसौर??