Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Dec 2017 · 1 min read

*जाते हुए पल*

जाते हुए पल

रेत जैसे हाथ से निकल रहे जाते हुए पल,,
जिंदगी से दिन कम कर रहे जाते हुए पल,,

धरा अम्बर से मिले ऐसे मिलो तुम भी तो कोई बात हो,,
अब तो खुशनुमा बन जाये उम्र के ये जाते हुए पल,,

जल बिन क्या नाव क्या पतवार किनारे सागर के,,
तपित करते मरुभूमि को सूर्य के जाते हुए पल,,

लालिमा की चादरों से ढक रहा आसमा जमी को,,
अंदेशा अंधेरे का ला रहे दिनकर के जाते हुए पल,,

एकांत हो जगह शांत हो साथ हम तुम एक दूजे के,,
मनु कट जाए सुकून से ये मेरे तेरे जाते हुए पल,,

मानक लाल मनु

Loading...