Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Dec 2017 · 1 min read

अब दवाओं में भी वो बात नही

अब दवाओं में भी वो बात नही
अब जख़्म का कोई इलाज़ नही

खुली किताब थी ज़िन्दगी कल तक
बन्द किताब में अब कोई राज़ नहीं

बेरंग है ज़िन्दगी तेरे बिन
ज़िन्दगी में बची वो साज़ नही

हुनर था पहाड़ चीरने का
अब वैसा कोई जबाज़ नही

खिलता था गुलशन कल तक
तुम बिन अब वैसा आज नही

भूपेंद्र रावत
18।12।2017

Loading...