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8 Dec 2017 · 1 min read

"रथपद छंद"

“रथपद छंद”
सकल अवध सिय रामा जी
सुखद मिलन अभि रामा जी।
दसरथ ललन चलैया हैं
रघुवर अवध बसैया हैं।।
अगर मगर मत जानों जी
नगर मुदित रघु मानो जी।
अयन नयन बजरंगी की
नमन अवध पति संगी की।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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