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4 Nov 2017 · 1 min read

खयाल

सुन, तेरी उल्फतों पर मलाल आ गया,
बनी आंखें झरना,हाथ रुमाल आ गया।

जब यूं ही बैठे बैठे खयाल आ गया,
तब समंदर में दिल के भुचाल आ गया।

लरजते लबों पर, हाय! सवाल आ गया,
गीत छेड़ा,तो दर्द होकर बहाल आ गया।

यूं ही बैठे बैठे खयाल आ गया…..
खुद की जिंदगी पर मलाल आ गया।

हां था मेरे अरमानों का लहु वो,
मैं समझी कि रंग-ए-गुलाल आ गया।

ऐसे ही इनायत हुई न नीलम पे,
वो नयी चाल चलके,ले जाल आ गया।

नीलम शर्मा

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