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7 Oct 2017 · 1 min read

माँ के लिए क्या लिखुँ?

माँ के लिए क्या लिखुँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है,
माँ का आँचल माँ की ममता मेरा यही संसार हैं,
शिव पुत्र की कहानी सारे जग में माँ की महिमा बताती हैं,
श्री गणेश की मातृ भक्ति की शक्ति से ही प्रथम पूजे जाते हैं
माँ के लिए गणपति ने शीश कटाये देवो में प्रथम देव कहलाये,
माँ के चरणों में शीश झुकाये शुभ दाता गणपति कहलाये,
हार कर थक जाता हूँ जब माँ की गोदी में आराम मिलता हैं,
बेचैन हो जाता हूँ जब जब माँ के छाँव में चैन मिलता हैं,
बेशक वो बदनसीब हैं जिनके सिर पे माँ के आँचल का छाया नही,
धन दौलत किस काम का जिसके पास माँ का प्यार नही,
“बेदर्दी” करता हैं प्यार बहुत अपनी माँ को पर बदनसीब जो ठहरा,
माँ की ममता का आँचल सिर पर नही मेरे दिलो में मायूसी का पहरा,
लौट के आजा माँ तेरा प्यार पाने को बेदर्दी तुझे पास बुलाता हैं,
कोई नही हैं माँ तेरे सिवा इस जहाँ में जो दर्द को मेरे समझता हैं,
भगवान को किसने देखा माँ ही भगवान का साकार रूप हैं,
कण कण में बसे जो भगवान माँ ही भगवान का साकार रूप हैं,
माँ बाप को इतना करो प्यार यही हैं सच्चे भगवान तीनो जहां के,
माँ के चरणों के नीचे बसता हैं तीनो लोक की सम्पदा सारे जहां के,

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