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3 Sep 2017 · 1 min read

अन्तिम यात्रा

जन्नत सा वो शहर था
नरक-सी वो आग थी

अंधकार से लिपटा बदन था
और वो सुंदर खाट थी

अजीब-सा सपना था
एक लौं और चारो ओर बौछार थी

मुक्त सा हो गया था
बस लौं की प्रकाश थी

प्रकाश जब न था
देखा वहाँ मेरी ही एक छाव थी

वो सपना अजीब नही, हकीकत था
अंधकार से नही, कफन से लिपटी लाश थी

और पायो की वो खाट थी
मंजर था लोगो का,रोती जो आँख थी

शायद जन्नत का वो शहर था
और वो मशाल नरक की आग थी

श.र.म

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