Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Sep 2016 · 1 min read

बहन के देहान्त पर अपने बेटे की तरफ़ से

मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी

थी छोटी मगर घर सबसे बडी थीं
कि मेरे लिये तुम सभी से सडी थीं
तुम्हारे लिये चाँद था ईद का मैं
मेरे वास्ते तुम ही दर पर खडी थीं
पुकारुंगा किसको मैं आवाज़ दूँगा
न पकडूंगा उंगली मैं आकर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी

न माँ आप थी मैं भी बेटा नहीं था
कलेजे का मैं कोई टुकडा नहीं था
मगर मां से बढकर के चाहा था तुमने
मुझे छोड दोगी ये सोचा नहीं था
मुझे छोड कर तुम कहां जा बसी हो
जगह तो नहीं थी वो ऊपर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी

मेरे नाज़ सारे उठायेंगे लेकिन
मुझे लाल कहकर बुलायेंगे लेकिन
कि मैं काम सबके बनाकर चलूंगा
सभी हक़ भी मुझपर जतायेंगे लेकिन
तुम्हारी तरह कोई हरगिज़ न होगा
न आयेगा कोई बराबर तुम्हारी

मैं छोटा कल अब बडा हो गया हूँ
मैं पैरों पे अपने खडा हो गया हूँ
मगर तुम नहीं हो तो कुछ भी नहीं है
तुम्हारे बिना मैं पडा हो गया हूँ
मुझे प्यार कोई भी करता नहीं है
जरुरत है मुझको बेज़र तुम्हारी

Loading...