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12 Jul 2017 · 1 min read

खत

मोहबत में उनको हमने खतों को है भेजा
उन्होंने भी हमको कई जवाबों में था भेजा
लिख लिख के नये जज्बातों को भेजा
कभी खुशियों को तो कभी आशुओ को भेजा
कभी गुलाबों को सजा कर पंखुड़ियों भेजा
कभी दिल के दर्दो को लगा कर के भेजा
कभी तपती दुपहरी में जलती लू को भेजा
तो सर्द इलाको से कभी शीतलता को था भेजा
कभी सिहरती रातो की बेचैनी को भेजा
कभी चादर में पड़ी सिलवटों को भेजा
तो कभी रूह द्वारा उनको हटाते भेजा
आहटों में आहो को चाहतो में चाहो को भेजा
नाम होती ज्योति की पनाहों में तुम्हें भेजा
हथेली में भरकर अनकही कही सदाओं को भेजा
कभी तेरे दर पर दिल की कुछ दुआओ को भेजा
खतों में प्रिये! तेरे जबाबो को खयालों को भेजा
जमाने के पत्थर और तेरे दिये गुलबो को भेजा
जमी से तुम्हें लिख आशमी सितारों को भेजा
नदिया की धारा से नित नव पैगामो को भेजा
मौसमो के बदलने पर नया नव अहसास भेजा
पर तुमको न देखा और कभी तुमको न पाया
सिर्फ खतों में तुम्हें हमने कुछ मुलाकातो को भेजा

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