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12 Sep 2016 · 1 min read

ईश छंद

जब चाँद से ठनी है
छिटकी न चाँदनी है
गमगीन हैं सितारे
मिलती न रौशनी है

बरसे न नैन देखो
मिलता न चैन देखो
सपने बड़ा सताते
कटती न रैन देखो

तुम जो न पास होते
पल वो उदास होते
फिर क्यों मिलो कभी तो
झगडे पचास होते

तुम मीत हो हमारे
तुमसे मिले सहारे
मझदार में फँसे थे
तुमसे मिले किनारे

बस जानते हमें वो
कब मानते हमें वो
पर आज काम है तो
पहचानते हमें वो

चलना पिता सिखाते
बस नेह ही लुटाते
सुख के लिए हमारे
बन धूप छाँव जाते

ममता दुलार देती
बस प्यार प्यार देती
हमको सदा यहाँ माँ
खुशियाँ बहार देती

दिल में बसे मुरारी
विनती सुनो हमारी
हमको न भूल जाना
चरणों पड़े तुम्हारी

डॉ अर्चना गुप्ता

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