Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Jul 2017 · 1 min read

कोई (डॉ. विवेक कुमार )

कोई पास रहकर भी
याद नहीं आता है
कोई दूर रहकर भी
यादों में बस जाता है।

कोई कह कर भी
कुछ कह नहीं पाता है और
कोई खामोश रहकर भी
बहुत कुछ कह जाता है

कोई कर जाता हल
सारे अनसुलझे सवालों को
पलक झपकते ही
कोई अनचाहे ही
समस्याओं का
पहाड़ बना जाता है।

कोई सब कुछ हार कर भी
जीत जाता है और कोई
सब कुछ जीतकर भी
हाथ में मलता रह जाता है।

कोई सालों तक
एक ही घर में
एक ही छत के नीचे रहकर भी
बना रहता है अजनबी
कोई चंद पलों में ही मन में समा जाता है।

तेली पाड़ा मार्ग, दुमका, झारखंड।
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

Loading...