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29 Jun 2017 · 1 min read

दस हाइकु

हाइकु
    
-प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

01. सत्य है जहाँ
     प्रभु रहते वहाँ
       ढूँढता कहाँ ?

02. छोटा दीपक
    तिमिर हरण के 
      बने द्योतक ।

03. चुल्हे तो नहीं
    गरीब के घर में
       जलते पेट ।

04. मनुज शक्ति
   मिट्टी से रस सुधा 
      निचोड़ लेती ।

05. खोदते गड्ढे
  दूसरों के लिए जो
      गिरते स्वयं।

06. प्रीत के धागे
    टूटने  को  डरते
      बंधे गाँठों में ।

07. शब्द लहरें
    हृदय सागर में
     लाती हिलोरें ।

08. माया के जाल
     बनते  मानव  के
     जी के जंजाल ।

09. जल की धारा
    बह पड़ी है मिट्टी
      सौंधी महकी ।

10. वन की रानी
  गीत गाती चिड़िया
     चोंच में पानी ।
    —-0—-
       
    -साहित्य प्रसार केन्द्र साँकरा
   साँकरा, जिला – रायगढ़ (छ.ग.)

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