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11 Jun 2017 · 1 min read

आहट

आती हूँ रात के अंधेरे में इतना
आहिस्ता – आहिस्ता कि मेरे पैरों
की आहट से तुम्हारी नींद
ना खुल जाए |

फिर कैसे सुन लेती हो
तुम मेरे आहट को ,
कहती कुछ नहीं तुमसे
फिर कैसे महसूस कर लेती हो
तुम मेरी चाहत को |

कुछ तुमसे छुपाना चाहूँ तो
कैसे पढ लेती हो मेरी
आँखों को |

कुछ तुम से कहूँ नहीं तो भी
तुम कैसे सुन लेती हो
मेरी धडकनों को |

तुमसे से जितना दूर होना चाहूँ
तॊ क्यों इतना पास आ जाती हो
क्यों……….?

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