Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2017 · 3 min read

सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास

भारत माता के वीर समूतों ने अंग्रेजों की दासता की बेडि़याँ काटने के लिए हिन्दुस्तान से बाहर रहकर भी गोरी सरकार के विरुद्ध क्रान्ति का शंखदान किया। गदर पार्टी के क्रान्तिकारी और एक सशक्त सैन्य संगठन ‘आजाद हिन्द फौज’ को लेकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक तरफ अंग्रेजों को कुचलने के लिए विदेश की युद्ध-भूमि को चुना तो दूसरी ओर विनायक दामोदर सावरकर के गुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा ने लंदन स्थित ‘भारतीय भवन’ से अंग्रेजों की अनीतियों, अत्याचार और शोषण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की। लंदन का ‘भारतीय भवन’ उन दिनों कैसी क्रान्तिकारी गतिविधिायों का केन्द्र था, इसका पता उसमें बैठकर ‘बम बनाने के तरीकों’ पर दिये जाने वाले भाषणों से आसानी के साथ लगाया जा सकता है। भारतीय भवन से ही सावरकर ने पंजाब के सपूत मदनलाल धींगरा की उनके हाथ में छुरी गाड़कर कठिन परीक्षा लेने के बाद धींगरा से सर कर्जन वाइली की हत्या करायी। कर्जन सावरकर की आँखों में इसलिये खटक रहा था, क्योंकि वह भारतीय भवन की गुप्त गतिविधियों की जासूसी करता था।
सावरकर इस तथ्य को भलीभाँति जानते थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध जारी रखने के लिये बम और पिस्तौलों के साथ-साथ क्रान्तिकारी साहित्य का रचा जाना भी आवश्यक है। साहित्य से ही क्रान्ति की ज्चाला धधकती है। इन्ही सब बातों पर विचार करते हुए उन्होंने ‘1857 के स्वतंत्रता युद्ध का इतिहास’ रचा। तथ्यों के संकलन की दृष्टि से यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण थी, जिसमें 1857 का गदर केवल एक सैनिक गदर मात्र नहीं था बल्कि भारतीय मानस में उफान लेती आजादी की भावना पूरी तरह प्रतिबिम्बित होती थी।
‘1857 के स्वतंत्रता युद्ध का इतिहास’ नामक पुस्तक सावरकर ने 24 साल की उम्र में लन्दन प्रवास के दौरान मराठी में लिखी, जिसके कुछ अध्यायों का अनुवाद करके वे अंग्रजी में ‘फ्री इण्डिया सोसायटी’ के सदस्यों को सुनाते थे। पुस्तक की पांडुलिपि को प्रकाशित कराने हेतु जब गुप्त तरीके से भारत भेजा गया तो भारत के मराठी प्रैस मालिकों ने इसे छापने से इन्कार कर दिया। प्रयास फिर भी जारी रहा। अन्त में ‘अभिनव भारत’ नामक क्रान्तिकारी दल के छापाखाने में यह पुस्तक दे दी गयी। पुस्तक छपने की भनक पुलिस को लग गयी। पुलिस उस छापेखाने की ओर दौड़ पड़ी। अतः पुस्तक को छपने से पूर्व ही वहाँ से उसकी पांण्डुलिपि हटा ली गयी।
पुस्तक की पांण्डलिपि को छापने के लिये पेरिस, जर्मन आदि में भी अथक प्रयास हुए किन्तु छपने से पूर्व ही पुलिस को भनक लग जाती और प्रकाशन कार्य रुक जाता।
अन्त में सफलता हाथ लग ही गयी। हालेंड के एक छापेखाने में पुस्तक छपने लगी। फ्रेंच और ब्रिटिश पुलिस को झांसा देने के लिए क्रान्तिकारियों ने यह अफवाह फैला दी कि पुस्तक फ़्रांस में छप रही है।
जब यह किताब हालैण्ड में छप गयी तो इसकी प्रतियों को गुपचुप तरीके से फ्रांस लाया गया। अभी इस बात पर विचार-विमर्श ही चल रहा था कि इस पुस्तक को भारत और अन्य देशों में कैसे भेजा जाये, उसी समय इसकी जब्ती की घोषणा कई देशों ने कर दी। इस जब्ती की आज्ञा के विरूद्ध सावरकर ने ‘लन्दन टाइम्स’ में आक्रोश व्यक्त किया। अंग्रेजों की पिट्ठू कई सरकारों की ओर से भले ही पुस्तक की जब्ती के आदेश थे लेकिन पुस्तक पर गलत रैपर लगाकर इसे भारत ही नहीं अन्य देशों में भी भेजा गया। जैसा कि सावरकर सोचते थे, पुस्तक ने क्रान्तिकारियों में फिर से एक नयी आग भर दी।
——————————————————————
सम्पर्क- 15/109, ईसा नगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 362 Views

You may also like these posts

बहरूपिया
बहरूपिया
Pushpraj Anant
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हैं जो हाथ में,लिए नमक शैतान .
हैं जो हाथ में,लिए नमक शैतान .
RAMESH SHARMA
आ जाती हो याद तुम मुझको
आ जाती हो याद तुम मुझको
gurudeenverma198
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
किताब
किताब
Ghanshyam Poddar
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Dipak Kumar "Girja"
"सतगुरु देव जी से प्रार्थना"......💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
Chitra Bisht
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
Ravi Prakash
Heart Wishes For The Wave.
Heart Wishes For The Wave.
Manisha Manjari
मौन
मौन
Shyam Sundar Subramanian
"तजुर्बा"
Dr. Kishan tandon kranti
उन यादों को
उन यादों को
Dr fauzia Naseem shad
Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme
युग बदल गया
युग बदल गया
Rajesh Kumar Kaurav
शुभकामना संदेश
शुभकामना संदेश
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
आकाश महेशपुरी
इक तुम्ही तो लुटाती हो मुझ पर जमकर मोहब्बत ।
इक तुम्ही तो लुटाती हो मुझ पर जमकर मोहब्बत ।
Rj Anand Prajapati
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
द्वंद्व हो
द्वंद्व हो
RAMESH Kumar
आंखों का काजल
आंखों का काजल
Seema gupta,Alwar
प्रेम कविता ||•
प्रेम कविता ||•
पूर्वार्थ
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
जब  तक  साँसें  चलती  है, कोई  प्रयत्न  कर  ले।
जब तक साँसें चलती है, कोई प्रयत्न कर ले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
धोखा देती है बहुत,
धोखा देती है बहुत,
sushil sarna
स्पंदन
स्पंदन
Shekhar Deshmukh
2946.*पूर्णिका*
2946.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...