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6 Apr 2017 · 1 min read

अब तुम मेरे हाथ खोल दो

अब तुम मेरे हाथ खोल दो
करूँ आक्रमण जरा बोल दो

पत्थरबाजी बहुत हो रही,
मानवता दिन रात रो रही,
सारी जनता धैर्य खो रही,
कब तक सहन करेंगे हम ये,
उत्तर मत अब गोल-मोल दो

सोच राष्ट्र वादी विकसित हो ,
केसर क्यारी की उन्नति हो,
अब न तिरंगा अपमानित हो,
देश प्रगति में जो हैं बाधक,
उनको कोई अब न रोल दो

किसी और का माल नहीं है,
सजा हुआ कोई थाल नहीं है,
ये गांधी का गाल नहीं है,
काश्मीर से आगे बढ़कर,
थोड़ा सा बदल भूगोल दो

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