Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Apr 2017 · 1 min read

मुहब्बत के व्यापार मे

आज मुहब्बत का अजब फरमान आया
जिंदगीको रगंमच और मुझे कठपुतली बताया

खुदा की रहमत ने गजब का नूर लाया
प्यार और धैर्य की प्रतिमूर्ति नारी का अक्स लाया
स्रष्टी की सबसे खूबसूरत संरचना को मुहब्बत का पैगाम बताया
पर …..
ये कैसी मुहबत है जो दिलों मे उमड़ती है
और बिस्तर पे दम तोड देती है
कल तक जो मुहब्बत आहे भरती थी आज मुह मोड़ लेती है..
क्या यही मुहब्बत की फितरत है
सुना था मुहब्बत इबादत का दूसरा नाम है
दिल से दिल को जोड़ने का पैगाम है
क्या यही मुहब्बत है ..जो रूह से निकल कर जिस्म पे खत्म होती है
प्यार मिटा कर जारो जार रोती है
बंद करो मुहब्बत की आड़ मे बहशीपन को
कुछ तो शर्म करो बंद करो कुकर्म को
न जाने कितनी नारी तिरस्कर्त होती है
मुहब्बत की आड़ में
तिल तिल मरती है जिस्म के बाजार मे
नारी तो मर्यादा है
मत झोंको उसे मुहब्बत के व्यापार में ..
नीरा रानी

Loading...