### मंजिल-मंजिल गाता चल ,,,,,, !
गीत —
“”नई राह के सब हैं राही,
चलना सबका है काम |
है रुकना मौत के सदृश,
रुकने का न लेना नाम ||””
मंज़िल-मंज़िल गाता चल,
हँसता और हँसाता चल |
कौन अपना, कौन पराया,
सबको गले लगाता चल ||
गए दौर की बात क्या करता,
नये दौर की बात तू कर |
ताल से ताल मिला कर झूम,
राग मिला कर गान तू कर ||
जग है अपना, सब है अपना,,,
खुशी के गीत सुनाता चल —–
कथक-ठुमरी भूल ही जा तू ,
दुनिया के संग नाच तू कर |
रॉक-एन-रॉल का गया ज़माना,
रैप-पॉप का साथ तू कर ||
दुनिया गोल है, बहुत मोल है,,,
अपना मोल बढ़ता चल ——
खुशी का नाम जीवन है,
खुशी-खुशी तू चलता जा |
वक़्त के साथ सब हैं बढ़ते,
वक़्त के साथ बहता जा ||
खुश रह और रहने दे,,,
खुशियाँ और लुटाता चल —–
( मौलिक )
******* दिनेश एल० “जैहिंद”
29. 12. 2016