***** भूल *****
[[[[ भूल ]]]]
@ दिनेश एल० “जहिंद”
भूलना था जिन नादानियों को उन्हें नहीं भूले,,,
भूल तो हम उन्हें ही गये जिनकी गोद में झूले,,
बोलो, ये भूल नहीं है तो और क्या है !!
भूले ममता की छांव और भूले अपनी माता को
भूले माँ के लाड-प्लार और निज जन्म-दाता को
जो जिए हमारे लिए चूक गए उनके सम्मान में,,
बन के लाठी हम सहारा बनते जिनकी शान में,,
झूले प्रेयसी की बाँहों में उसके ही दंभ में फूले —
भूल तो हम उन्हें ही गये जिनकी गोद में झूले,,,
बोलो, ये भूल नहीं है और तो क्या है !!?
भूले उस मिट्टी को जिस मिट्टी में खेल बड़े हुए,,
भूले उसके प्रेम-स्नेह को जिसमें हम सने हुए,,
कुछ तो फ़र्ज़ बनता है हम सब धरती-पुत्रों का,,
परम धर्म है क़र्ज़ चुकाना माँ-बाप-मातृत्वों का,,
छोड़ के भू-स्वर्ग सपने सजाएं कि आसमां छूलें
भूल तो हम उन्हें ही गये जिनकी गोद में झूले,,
बोलो, ये भूल नहीं है तो और क्या है !!!
दिनेश एल० “जैहिंद”
16. 01. 2017