[[[[ परिंदे की भाषा ]]]]
(((( परिंदे की भाषा ))))
तुम हो कितने कठोर, निष्ठुर, चतुर, चालाक ,
ख़ुद को आदमी और मुझको परिंदे कह गये !
हम भी तो रहे कितने सीधे-साधे, निरे बुद्धू ,,,
तेरे दिए सभी ज़ुल्मो सितम व क़ैद सह गये !
तुमने मुझको क्या-क्या, कैसे-कैसे नाम दिए,
कभी गिद्ध कहा, कभी चील-कौवा कह गये !
ख़ुद तो कभी कृष्ण बने, तो बने कभी श्रीराम,
और हमें लोभी, लालची, धूर्त, कठोर कह गये !!
मेरे दोनों हाथों को तुम डैना कह कर ख़ुश हो,
मेरे मुख को तुम चोंच कह के कितने दुख दो !
मेरे दुख तुम क्या जानो ये धरती वाले इंसान,,,
तुम दुख को मेरे बढ़ा के और मुझको दुख दो !!
तुमने हमें क़ैद किया हम कुछ ना बोल पाए,
तुमने हमरा शिकार किया हम चुप ही रह जाएं
जीव-जीव में फ़र्क़ करके तुम राम-माला जपते,
कैसे हो तुम इंसान तुम्हारी इंसानियत कौन गाएं
दिनेश एल० “जैहिंद”
10. 11. 2016