[[[[ विवाह जरूरी ]]]]
(((( विवाह जरूरी ))))
@ दिेनेश एल० “जैहिंद”
बिन विवाह के लगती है यह सृष्टी अधुरी ||
ब्याह के बंधन में बँधकर होती सृष्टी पूरी ||
जब नर-नारी परिणय-सूत्र से जुड़ जाते हैं,,
तब दो प्यासी रूहों की मिट जाती है दूरी ||
अद्भभुत लीला प्रभु की कैसा पवित्र विवाह ||
होती हर युवा-युवती के मन में छुपी ये चाह ||
अग्नि-देव को साक्षी मान जब दो दिल मिलते,,
पाणि-ग्रहण देख सब कह उठते हैं वाह-वाह ||
सिंदूर-दान और कसमें-वादे हैं इसमें विशेष ||
एक पुरूष का प्रतीक है सिंदूर-सिंगार-भेष ||
जीवन-पथ पर वंश-विस्तार का भार लेकर,,
कर लेते हैं दो प्राणी गृहस्थ-जीवन में प्रवेश ||
है विचित्र विधि-विधान जग में परमात्मा का ||
हर जीवों में जोड़ा पाया जाता दो आत्मा का ||
इसकी जो अवहेलना करता पापी कहलाता,,
जो ईश की राह चले वो साया है पुण्यात्मा का ||
ब्रह्मा के कार्य कौशल का जिंदा यह प्रमाण है ||
तीनों देवों की कल्पना का यह सुंदर जहान है ||
विवाह-व्यवस्था है नर-नारी के बीच सुहाता,,
पृथ्वी पर हर प्राणी के लिए ऐसा ही विधान है ||
दिनेश एल० “जैहिंद”
24. 02. 2017