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12 Mar 2017 · 1 min read

अपनी भूख मिटाऊंगा

मेरी भूख
और ये शहर की दुकाने,
आकाश को छूने को
दिन भर
बढ़ती रहती हैं
मुझ पर हंसती रहती है।

साथ मे खड़ा
जैसे वो मेरा पड़ोसी
रिक्शेवाला ,
सवारी पा जाने पर
मुझे देखता है और
बढ़ता रहता है
मुझ पर हँसता रहता है।

और ये कुछ पौधे भी
देखो,जो भादौ की बारिश
बैशाख की उमस
सहते है फिर भी
बढ़ते रहते है
मुझ पर हँसते रहते है।

बस कुछ घंटे और
फिर सर के उपर से
एक चाँद निकलेगा ;
शहर की दुकाने ,
रिक्शेवाला ,
और पौधे भी
सब चुप हो जाएंगे
मै सब को चिढ़ाता
सब पर हँसता
अपनी भूख मिटाऊंगा।

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