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27 Feb 2017 · 1 min read

गजल लिखते लिखते

ये क्या याद आया गजल लिखते लिखते
क्यूँ थम सी गई है कलम चलते चलते
सोचा था यादों में लायेंगे न उस कल को
आ ही गया वो मंजर थमते थमते
जो इक बार भूले से कदम लड़खड़ाये
बहुत वक्त बीता संभलते संभलते
दिल करता है रो लें जी भर के लेकिन
हुई खुष्क आँखें भी ये बहते बहते
ये कैसी कहानी है अपनी मोहब्बत
एक ऐसी कहानी है अपनी मोहब्बत
खत्म हुई जिन्दगानी मिलते बिछड़ते
_महेश तिवारी ‘अयन’

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