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14 Feb 2017 · 1 min read

**** घबराहट ***

मेरी पहली कविता
***********
मर रहा था
मगर
डर रहा था
मौत से नहीं
मै घबराहट से
मर रहा था
कहने जा रहा था
दो चार पंक्तियां
मुर्दा लाश की
तरह
बोलता जा
रहा था ऐसे जैसे
तेज स्पीड से
चलता हुआ इंजिन
डर लग रहा था
कहीं लाइन से
नीचे न उतर जाऊं
स्टेज से उतर कर
आ रहा था ऐसे
जैसे सारी एनर्जी
ख़त्म हो चुकी हो
मेरी ।।

?मधुप बैरागी

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