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26 Jan 2017 · 1 min read

हम है खुदा की नेमत बेटियाॅ

हम है खुदा की नेमत
हमें कूङे कचरे मे फेको मत
हमारे जन्म से आती रहमत
वह इनसान बन जाता खुशकसमत
उसके लिये खुले दरवाजे जननत
हमसे बङती धर की जीनत
बलात कार जैसी करो न घनौनी हरकत
हम है संसार की शान और ताकत
ठान ले तो टूट पङे बन के आफत
पहलवान गीता बबी ता करें दगलं
हमारे लिये ऊँची सोच रखो हर एगलं
ये रूप है देवी जो विराजे कमल
हममें भी है जोश के पहुँची गृह मंगल
हम बेटयो को सता ओ नही
खुदा का खाफै खाओ तो सही
उसके घर मे फर्क नही
लङकी को मिटा दो ऐसा कोई लिखा हरफ नही
ऐसा होता तो वो हमें कयो भेजता
धरती का इनसान ये कयो नही सोचता
हममें भी है पर्व तारोही बनने की छमता
हृदय मे उमङ उठती है ममता
मेहरोज लिख रही बेटि विशेष पे कविता
जिनके घर बेटी होती खुश होता है अल्लाह ताला
खूबसूरत फूलो से महके घर फैले उजा ला
वह इनसान बङा दिलवाला जिसने बेटी को पाला
कितनी हिम्मत से लङकी युसूफ जई मलाला
हम है घर की शहजादी समझो न लङको से कम
बेटयो की हत्या करने वालों करो शरम
हमें भी दो आजादी दुनिया मे लेने का जन्म
कितनी जोश से अनवरी बहने गाती वंनदेमातरम

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