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27 Aug 2016 · 1 min read

मौन...एक खोज

चल दिये उस राह पर
जहाँ हर कोई जाता न था,
न कोई चहकता था
न कोई महकता था,
नितांत मौन थी राह
जो केवल मौनता के साथ
अंदर उतर रही थी
शांत सी…
जहाँ था केवल मौन
गहराइयो में
छिपा….शांत सा
जाग उठा,
उस राह पर चलकर
जो मौन थी केवल
एक अद्भुत आनंद के लिए
सत्य की पहचान के लिए,
जो छिपा था उस मौन में
जो बाहर भी था
अंदर भी था शांत सा
समभाव सा
आलौकिक अनुभव के साथ….

^^^^^दिनेश शर्मा^^^^^

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