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23 Aug 2016 · 1 min read

तुम बात मुझी से कह डालो

बात मुझी से कह डालो …

अंतर्मन के ऑगन में जब जब दुख की परछाई हो
वर्षा के काले बादल जब नैनो मे लहराते हो
घनघोर घटाओं की बदली
जब जब दिल पर गहरी हो
तुम जुदा न हो ..तुम खफा न हो
बस बात मुझी से कह डालो तुम बात मुझी से कह डालो ……………………………………
. मन का क्रदंन हल्का करके
शब्दों का ऑलिगन कर
कुछ मूर्त शब्द इंगित करके
तुम मौन अधर मुखरित कर दो
तुम बात मुझी से कह डालो
बस ….बात मुझी से कह डालो……………………………….
ह्रदय धीर धर लेगा तब
जब मन अवलम्बन लेगा तब
काल रात्री उज्जवल होगी
नेह बरस लेंगे जब ……
… छटा खूब निखरेगी बस
तम तिमिर ह्रदय का धो डालो
तुम बात मुझी से कह डालो ……. तुम ….
नीरा रानी

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