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26 Nov 2016 · 1 min read

चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुची हूं

चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुंची हूं

अंगार अधर पे धर कर
ज्वला को होंठों से पीकर
दाह हसरतों का करके
मै आज यहं तक पहुंची हूं

फूलों से खुशबू लेकर
कण कण से नफरत चुन कर
कॉटों से मुस्कान लिए
मै आज यहॉ तक पहुंची हूं

स्वप्न संसार नयन मे धर
धीर ह्रदय मे धर करके
पुरजोर वेग विपरीत हवा
लहर लहर तूफान लहर
तूफानों को कश्ती बना
मै आज यहं तक पहुंची हूं

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