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19 Nov 2016 · 1 min read

मुझमें न ढूँढ रोज़ फरिश्तों की सूरतें मेरा फ़लक से कोई मरासिम न था कभी

मुझमें न ढूँढ रोज़ फरिश्तों की सूरतें
मेरा फ़लक से कोई मरासिम न था कभी

राकेश दुबे “गुलशन”
19/11/2016
बरेली

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