Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Nov 2016 · 1 min read

लिखती लहर लहर पे ग़ज़ल लेखनी रहे

जब जब भी दिल में दर्द की बहती नदी रहे
लिखती लहर लहर पे ग़ज़ल लेखनी रहे

होते महान हैं वही संसार में सदा
जिनके विचारों में भरी बस सादगी रहे

हमको न ज्यादा चाहिए तुझसे ऐ ज़िन्दगी
बस बजती चैन की यहाँ पर बाँसुरी रहे

दिल से तो दूर तुम कभी हमसे गए नहीं
कैसे कहें कि हम यहाँ पर अजनबी रहे

घर टूट वो बिखरता कभी ‘अर्चना’ नहीं
मजबूत डोर रिश्तों की जिसकी बँधी रहे
डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...