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9 Nov 2016 · 1 min read

पत्नियो के नाम

आज की रचना पत्नियों के नाम–

तिनका तिनका जोड़कर
पत्नी जी मुस्काती थीं
जब भी मांगे वो उनको
अंगूठा दिखलाती थीं
रद्दी न हो जाये कहीं
अनमोल खजाना ये अपना
खुद ही उनको सौंप दिया
छुपा फ़साना इस दिल का
रक्षा बंधन भाई दूज
मां बाबू का प्यार
क्या क्या उसमें छुपा हुआ
ये उनका संसार
मन की पीड़ा समझके भी
क्या क्या कर पायेंगे वो
ज्यादा से ज्यादा नोट बदल
वापस ले आयेंगे वो
खुशबू में उनकी अब भी
क्या वैसी ही राहत होगी
उनमें छुपे हुये रिश्तो की
क्या वैसी गर्माहट होगी

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