बाद| तुम्हारे जाने के कल::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १२१)
गीत:: बाद तुम्हारे जाने के कल
———————————– ( शेष भाग ) व्यर्थ की
हठता आज विवशता , कल परवशता मत रोये ।।
क्षणिक सुखों के लिए , विवश हो पल अनगिन अनमोल गये ।।
सतत् साधना सेवा से नित् आदर्शों पर टिके रहे ।
जीवन हो गतिमान निरन्तर ,कभी नहीं पर रनके रहें ।
बाद तुम्हारे जाने के कल ,याद करें यह कह कह कर,
बनें सभी सत्पथ अनुगामी, हमसे एसा बोल गये ।।
प्रेम- सुत्र में बँधे रहें तो सबका सुख अपना लगता ।
सबकेसुख की चाह करें तो ,सबका दुख अपना लगता।
सारी धरती के मनुजों क् एक सूत्रमें भाग्य बँधा ।
यही समझकर हमतो अपने गीतों में रस घोल गये ।।
— जितेंद्रकमल आनंद २७-१०-१६
शिव मंदिरके पास , लॉई बिहार कालोनी, रामपुर( उ प्र )