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24 Oct 2016 · 1 min read

चलो रोशनी.....

गीतिका/हिंदी गजल#(दीप-पर्व पर)
(वाचिक भुजंगप्रयात छंद)
*** ***********************
चलो रोशनी को जगाने चलें हम
अँधेरे यहाँ से हटाने चलें हम।1

रहे माँगते इक किरण का सहारा
लिये दीप कर में जलाने चलें हम।2

बँटे खेत कितनी तरह से अभी हैं
दिलों की लकीरें मिटाने चलें हम।3

बहुत बार देखी नजाकत जहाँ की
जरा रूत अपनी दिखाने चलें हम।4

कहानी हुआ भेद बढ़ना यहाँ का
चलो आज पर्दा उठाने चलें हम।5

इशारों पे’ अबतक उझकते फिरे हैं
इशारों से’ आओ नचाने चलें हम।6

लड़े हैं बहुत अब तलक बेवजह के
बढ़ो आज नजरें लड़ाने चलें हम।7
@मनन

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