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16 Oct 2016 · 1 min read

यूँ ही मरने की बात न कर

गजल#
***
यूँ ही मरने की बात न कर
जीवन ऐसे सौगात न कर।1

रहमत है तू यार खुदा की
कैसे भी तो खैरात न कर।2

आँख लड़ी तब मर्ज बढ़ा है
ज्यादा अब तो जज्बात न कर।3

हँसकर जीवन क्या देगा वह?
चिकनी-चुपड़ी फिर बात न कर।4

खामोशी का खेल चलेगा
खाली बस देख बिसात न कर। 5

अपने मन के मालिक सब हैं
छोटी खुद सेऔकात न कर।6

फूट रहीं ज्योतिर्मय किरणें
मन के आँगन में रात न कर।7
@मनन

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