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17 Dec 2025 · 1 min read

गहरी सोच का मंथन करना है।

गहरी सोच का मंथन करना है।
मन की आंखें तु खोल जरा।।
चुप ना रहो, हलचल कर जरा।
आने वाली घड़ी ये कहती है।
सोने वाले, तु अब जाग जरा ।

स्वरचित मौलिक -कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र

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