गहरी सोच का मंथन करना है।
गहरी सोच का मंथन करना है।
मन की आंखें तु खोल जरा।।
चुप ना रहो, हलचल कर जरा।
आने वाली घड़ी ये कहती है।
सोने वाले, तु अब जाग जरा ।
स्वरचित मौलिक -कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र
गहरी सोच का मंथन करना है।
मन की आंखें तु खोल जरा।।
चुप ना रहो, हलचल कर जरा।
आने वाली घड़ी ये कहती है।
सोने वाले, तु अब जाग जरा ।
स्वरचित मौलिक -कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र