“सुनो प्रिये, सर्दियाँ आ गई ,तुम कब आओगे🥀
❄️ “सुनो प्रिये, सर्दियाँ आ गई ,तुम कब आओगे🥀
सुनो प्रिये,मौसम बदल गया…
सर्दियाँ आ गई है तुम कब आओगे
हवा अब पहले से ज़्यादा धीरे बोलती है,
जैसे किसी राज़ को छुपाकर ले जा रही हो।
खिड़कियों से होकर हल्की धूप आ गई
बिल्कुल तुम्हारी मुस्कान जैसी—
नरम, पर दिल में उतर जाने वाली।
बोलो न प्रिय,तुम कब आओगे
इन सर्दियों में अगर तुम पास होते,
तो चाय का हर घूंट थोड़ा और मीठा हो जाता।
जैसे चंन्द्रमा बिना चादनी के कभी पूरा नहीं लगता
वैसे ही मै अपूर्ण हूँ
बोलो न प्रिय,तुम कब आओगे
~ isha Singh yaduvanshi ‘yadavi’💮