#मुक्तक...
#मुक्तक…
*यह है समदर्शिता।
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(प्रणय प्रभात)
“दरकिनार कर के दुनिया को अपने सारे काम लिखूं।
जीवन रासो के पृष्ठों पर केवल अपना नाम लिखूं।।
मेरी सोच, लेखनी मेरी, कागज़ माना मेरे हैं।
इसका मतलब ये थोड़ी है ख़ुद को राजा राम लिखूं।।”
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संपादक
न्यूज़&व्यूज
श्योपुर (मध्यप्रदेश)