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5 Dec 2025 · 1 min read

मनचले झरनों की कलकल

मनचले झरनों की कलकल
संध्या की मीठी सी अँगड़ाई
प्रकृति प्रसन्न राधा सी नाची
कृष्ण घटा सावन बन छाई

डॉ.रागिनी स्वर्णकार

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