विषय- समय का फेर
विषय- समय का फेर
घनाक्षरी
(1)
था कभी भिखारी कोई, राजा हो गया हैअब
जग वाले उसको, कुबेर कहते हैं जी
बित गई रात लगे सूरज दिखाई देनें
हम उस बेला को सबेर कहते हैं जी
घूस,घोटाला से तंग जहाँ आम आदमी हैं
उस नगरी को ही अँधेर कहते हैं जी
चाय बेंचने वाले पा जाते हैं पीएम पद
इसको ही समय का फेर कहते हैं जी
(2)
खूबसूरतों की खूबसूरती चली जाती है
मिटती है जग में जवानों की जवानी जी
जंगल का शेर पींजडा़ में कैद हो जाता है
उसको भी याद आने लगती है नानी जी
कितना उलटफेर होता एक ज़िन्दगी में
पढ़कर जानें अनगिनत कहानी जी
समय का फेर देखिए कि राजा हरिश्चन्द्र
एक दिन भरते हैं डोम घर पानी जी
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अवध किशोर ‘अवधू’
मोबाइल नम्बर 9918854285
दिनांक 04-12-2025